बुधवार, 29 अप्रैल 2015

कायाकल्प की दिव्य औषधि और केश रोगनाशक महारसायन..........!!!

काला भृंगराज अगर न मिले तो कोई भी ले लें। पंचांग छाया में सुखाकर कूट पीसकर कपडछान कर लें और खरल में डालकर उसमें ताजे भृंगराज की पत्ती का रस इतना डालें कि चूर्ण के ऊपर चार अंगुल आ जाये अब छाया में सुखाकर खरल में खूब घोंटेँ। इसी प्रकार 21 बार रस डालें और सुखाकर घोंटे। इस क्रिया को आयुर्वेद में भावना देना कहते हैं।
21 बार का भावित भृंगराज रसायन- 300 ग्राम
आँवला चूर्ण 150 ग्राम
बहेडा चूर्ण 100 ग्राम
हरड चूर्ण 50 ग्राम
तीनो गुठली रहित लें। सबको बादाम तैल 50 मिली में सानकर 600 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर काँच के बर्तन में रख लें।
सेवन विधि-6 ग्राम चूर्ण प्रातः शाम खाकर एक पाव देशी गाय का दूध पीयें। एक सप्ताह तक खाने के बाद 3 ग्राम चूर्ण और बढाकर 9 ग्राम खाकर गाय का दूध पीयेँ। तीसरे सप्ताह 12 ग्राम उसी प्रकार खायें और दूध पीयें। इसके आगे यही मात्रा जारी रखें। अवश्यकतानुसार 3-4 महीना सेवन करना चाहिए।

लाभ- डेढ- दो माह सेवन करने पर बाल काले निकलने शुरू हो जायेगें और शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।यह एक अत्यन्त स्वास्थ्यवर्धक रसायन है जो शक्ति ,इम्यूनिटी व स्वास्थ्य संरक्षण के लिए उपयोगी होने के साथ केश और आँखों के लिए बेहद लाभप्रद है। बाल काले होकर झडना बन्द हो जाते हैं तथा जडे मजबूत होती हैँ और लम्बे समय तक काले बने रहते हैं।नेत्र ज्योति गिद्ध की तरह हो जाती है,त्वचा चमकदार हो जाती है,त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं,नया रक्त बढता है, पेट के रोग ठीक हो जाते है,बृद्धावस्था जल्दी नहीं पकडती , शरीर बार बार बिमार नहीं पडता है। शरीर के सभी रोग दूर होते हैं इसके गुणौं का वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं शरीर का कायाकल्प कर देता है। प्रयोग करने पर इसके गुण आप स्वयं परख सकते है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम है। भृंगराज हर जगह नदी तलाब और बिशेष रूप से पानी वाली जगह पर होता है। अगर ताजा न मिले तो पंसारी के यहाँ से लाकर काढा बनाकर प्रयौग करें मगर ताजा ज्यादा लाभकारी है।

ईनफर्टीलीटी

आज के समय में एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है Iयदि आंकड़ों पर गौर करें तो 33 % ईनफर्टीलीटी पुरुषों की समस्या के कारण,33 % ईनफर्टीलीटी महिलाओं एवं लगभग 33 % दोनों ही की समस्याओं या फिर अज्ञात कारणों से उत्पन्न होती हैं Iपुरुषों में ईनफर्टीलीटी का कारण वेरीकोसील, स्पर्म काउंट का कम या अनुपस्थित होना,स्पर्म डेमेज या किसी रोगजनित कारणों से होता है Iएल्कोहोल,दवाओं (उच्चरक्तचाप में प्रयुक्त ) का सेवन,धुम्रपान,रेडीयेशन एवं कीमोथेरेपी आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो इसके रिस्क फेक्टर माने जा सकते हैं Iइसी प्रकार महिलाओं में बंद फेलोपियन ट्यूब,ओव्युलेशन की समस्या,युटेराईन फाईब्रोइड,तनाव,उम्र,दवाओं आदि संभावित कारण हो सकते हैं Iईनफर्टीलीटी की समस्याओं में आयुर्वेद के कुछ योग बड़े ही कारगर होते हैं योग चिकित्सक अपने रोगीयों में इन योगों का प्रयोग करा सकते हैं :- 
🌕-श्वेत कंटकारी के पंचांग को सुखाकर पाउडर बना लें तथा स्त्री में मासिक धर्म के 5वें दिन से लगातार तीन दिन प्रातः एक बार दूध से एवं पुरुष को : अश्वगंधा 10 ग्राम, शतावरी 10 ग्राम, विधारा 10 ग्राम, तालमखाना 5 ग्राम, तालमिश्री 5 ग्राम सब मिलकर 2 चम्मच दूध के साथ प्रातः सायं प्रयोग करायें निश्चित लाभ मिलता है I
🌕- पलाश के पेड़ की एक लम्बी जड़ में लगभग 250 मिली की एक शीशी लगाकर, इसे जमीन में दबा दें, एक सप्ताह बाद इसे निकाल लें, अब इसमें इकठ्ठा होने वाला निर्यास द्रव प्रातः पुरुष को एक चम्मच शहद से दें। यह शुक्राणुजनित कमजोरी जिसे ओलिगोस्पर्मीया भी कहा जाता है को दूर करने में मददगार होता है। 
🌕-अश्वगंधा 1.5 ग्राम. शतावरी 1.5 ग्राम, सफ़ेद मुसली 1.5 ग्राम एवं कौंच बीज चूर्ण को 75 मिलीग्राम की मात्रा में गाय के दूध से सेवन करने से भी ईनफर्टीलीटी की समस्या में लाभ मिलता है I
🌕- शुद्ध शिलाजीत की 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम की मात्रा दूध के साथ नियमित सेवन भी मधुमेहजन्य ईनफर्टीलीटी को दूर करती हैI
🌕-अश्वगन्धा, कौन्च के बीज, सेमल के फूल, शतावरी , मोचरस, गोखरू, जायफल, ताल मखाना, मूसली, विदारीकन्द, सोठ, घी में भूनी हुयी ऊड़द की दाल, पोस्तादाना एवं वंशलोचन इन सभी द्रव्य एक एक हिस्सा लेकर महीन से महीन चूर्ण बना लें और इस सभी वस्तुओं के चूर्ण के हिस्से के बराबर शक्कर लें और इस शक्कर को महीन से महीन पीसकर उपरोक्त चूर्ण में मिला लें।इस चूर्ण का नियमित रूप से 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन I

कैंसर के घरेलु उपचार

कैंसर का नाम सुनते ही मन में एक डर सा पैदा हो जाता था। वजह, इस बीमारी का बहुत ही घातक होना। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 33% महिलाओ और 25% पुरुषो को उनके जीवनकाल में कैंसर होने की सम्भावना होती है। कैंसर जैसा घातक रोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। हमारे देश में शराब व धूम्रपान की लत की वजह से लोग कैंसर जैसी महामारी के चपेट में बड़ी तेजी से फंसते जा रहे है। डब्ल्यूएचओ (हू) की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक देश के प्रत्येक घर का एक व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होगा। लेकिन हर व्यक्ति के स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से 40-50% कैंसर से बचाव भी संभव है। मासिक स्वयं जाँच के द्वारा 10-20% कैंसर मामलो का पता लगाया जा सकता है। कैंसर की समय से पहचान और इलाज होने पर इसको पूर्ण रूप से ठीक करना संभव है। और ठीक होने के बाद कोई भी व्यक्ति सामान्य रुप से जिंदगी को जी सकता है।

हमारे शरीर की सबसे छोटी यूनिट सेल (कोशिका) है। शरीर में 100 से 1000 खरब सेल्स होते हैं। हर वक्त ढेरों सेल पैदा होते रहते हैं और पुराने व खराब सेल खत्म भी होते रहते हैं। लेकिन कैंसर में यह संतुलन बिगड़ जाता है। उनमें सेल्स की बेलगाम बढ़ोतरी होती रहती है।गलत लाइफस्टाइल और तंबाकू, शराब जैसी चीजें किसी सेल के जेनेटिक कोड में बदलाव लाकर कैंसर पैदा कर देती हैं। कैंसर सेल अपने जैसे सेल बेतरतीब तरीके से पैदा करता जाता है। वे सही सेल्स के कामकाज में रुकावट डालने लगते हैं। कैंसर सेल एक जगह टिककर नहीं रहते। वे शरीर में किसी दूसरी जगह जमकर वहां भी अपने तरह के बीमार सेल्स का ढेर बना डालते हैं और उस अंग के कामकाज में भी रुकावट आने लगती है। इन अधूरे बीमार सेल्स का समूह ही कैंसर है। अर्थात कैंसर एक बेकाबू व हद से ज्यादा कोशिकाओं के अधिक बढ़ने वाली घातक बीमारी है।

भारत में पुरुषो में फेफड़ो,आवाज की नली ,गले, जीभ ,मुह, खाने की नली ,पित्ताशय,पौरुष-ग्रंथि(प्रोटेस्ट), इत्यादि कैंसर होने की सम्भावना अधिकतर होती है जबकि महिलाओं में स्तन,गर्भाशय, ग्रीवा, मसाना, अंडाशय, थाइरॉइड, फेफड़े, गले,जीभ, पित्ताशय, व मस्तिष्क के कैंसर की सम्भावना अधिक होती है।

कैंसर के लक्षण:----

* मुंह के अंदर छालों का होना, सफ़ेद, लाल या भूरे धब्बो का पाया जाना, मुंह का सिकुड़ना और पूरी तरह से मुंह का न खुलना ।

* शौच या मूत्र की आदतो में बदलाव आना ।

* कभी न ठीक/न भरने वाला घाव/नासूर आदि का होना।

* स्तन में/या शरीर के किसी हिस्से में गांठ व असामान्य उभार।

* याददाश्त में कमी, देखने-सुनने में दिक्कत होना , सिर में भारी दर्द होना ।

* कमर या पीठ में लगातार दर्द ।

* मुंह खोलने, चबाने, निगलने या खाना हजम करने में परेशानी होना।

* शरीर के किसी भी तिल/मस्से के आकार व रंग में बदलाव का होना।

* लगातार होने वाली खासी व आवाज का बैठ जाना ।

* यदि इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण 2 हफ्ते से अधिक समय तक हो तो तुरंत इसकी जाँच किसी अच्छे डाक्टर से कराये की कहीं ये कैंसर तो नही है वैसे इन लक्षणों के अन्य कोई और कारण भी हो सकते है।

कैंसर के कारण --

* तम्बाकू ,पान मसाला ,खैनी ,सुपारी इत्यादि से कैंसर के होने की सम्भावना बहुत ज्यादा बड़ जाती है।

* शराब भी कैंसर को बढ़ावा देती है , अत: इसका बहुत ही कम या बिलकुल भी सेवन ना करें ।

* मीट को हजम करने में ज्यादा एंजाइम और ज्यादा वक्त लगता है। ज्यादा देर तक बिना पचा खाना पेट में एसिड और दूसरे जहरीले रसायन बनाते हैं, जिनसे भी कैंसर को बढ़ावा मिलता है।

* अधिक तले भुने चर्बी वाले खाद्द्य पदार्थों से भी कैंसर हो सकता है ।

* मोटपा , किसी संक्रमणों ,जैसे एच.आई वी ,हेपेटाइटिस बी आदि की वजह से भी कैंसर की सम्भावना होती है ।

* अनुवांशिक कारण /खानदानी कैंसर होना।

* धुँआ ,प्रदूषण ,कीटनाशक ,पेंट ,थिनर आदि ।

* इसके अतिरिक्त कोई अज्ञात कारण से भी कैंसर संभव है ।

कैंसर से बचाव :--

* पेड़-पौधों से बनीं रेशेदार चीजें जैसे फल, सब्जियां व अनाज खाइए।

* चर्बी वाले खानों से परहेज करें। मीट, तला हुआ खाना या ऊपर से घी-तेल लेने से यथासम्भव बचना चाहिए।

* शराब का सेवन कतई न करें या करें तो सीमित मात्रा में।

* खाने में फफूंद व बैक्टीरिया आदि बिलकुल भी न पैदा हो सके ऐसे खाने को तुरंत फ़ेंक दे । खाने में अतिरिक्त नमक डालने से बचें।

* ज्यादा कैलोरी वाला खाना कम मात्रा में खाएं, नियमित कसरत करें।

* विटामिंस और मिनरल्स की गोलियां कम से कम खाएं संतुलित खाने को तहरीज़ दें ।

* दर्द-निवारक और दूसरी दवाइयां खुद ही, बेवजह खाते रहने की आदत छोड़ें।

* कैंसर की समय समय पर जाँच अवश्य ही कराते चलें ।

कैंसर में खानपान वा सावधानियां :--

* लाल, नीले, पीले और जामुनी रंग की फल-सब्जियां जैसे टमाटर, जामुन, काले अंगूर, अमरूद, पपीता, तरबूज आदि खाने से कैंसर का खतरा कम हो जाता है। इनको ज्यादा से ज्यादा अपने भोजन में शामिल करें । * हल्दी का अपने खाने में प्रतिदिन सेवन करें । हल्दी ठीक सेल्स को छेड़े बिना ट्यूमर के बीमार सेल्स की बढ़ोतरी को धीमा करती है।

* हरी चाय स्किन, आंत ब्रेस्ट, पेट , लिवर और फेफड़ों के कैंसर को रोकने में मदद करती है। लेकिन यदि चाय की पत्ती अगर प्रोसेस की गई हो तो उसके ज्यादातर गुण गायब हो जाते हैं।

* सोयाबीन या उसके बने उत्पादों का प्रयोग करें । सोया प्रॉडक्ट्स खाने से ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर की आशंका कम होती है।

* बादाम, किशमिश आदि ड्राई फ्रूट्स खाने से कैंसर का फैलाव रुकता है।

* पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली आदि में कैंसर को ख़त्म करने का गुण होता है।

* कैंसर के इलाज / बचाव में लहसुन बहुत ही प्रभावी है । इसलिए रोज लहसुन अवश्य खाएं। इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

* रोज नींबू, संतरा या मौसमी में से कम-से-कम एक फल अवश्य ही खाएं। इससे मुंह, गले और पेट के कैंसर की आशंका बहुत ही कम हो जाती है।

* ऑर्गेनिक फूड का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें ,ऑर्गेनिक यानी वे दालें, सब्जियां, फल जिनके उत्पादन में पेस्टीसाइड और केमिकल खादें इस्तेमाल नहीं हुई हों।

* पानी पर्याप्त मात्रा में पीएं, रोज सुबह उठकर रात को ताम्बे के बर्तन रखा 3-4 गिलास पानी अवश्य ही पियें ।

* रोज 15 मिनट तक सूर्य की हल्की रोशनी में बैठें।

* नियमित रूप से व्यायाम करें।

* कैंसर का पता लगने पर दूध या दूध के बने पदार्थों का उपयोग बंद कर दें । इनसे व्यक्ति को नहीं वरन कैंसर के बैक्टीरिया को ताकत मिलती है ।

* नियमित रूप से गेंहू के पौधे के रस का सेवन करें ।

* तुलसी और हल्दी से मुंह में होने वाले इस जटिल रोग का इलाज संभव है।वैसे तो तुलसी और हल्दी में कुदरती आयुर्वेदिक गुण होते ही हैं मगर इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी होते हैं। तुलसी इस रोग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है। घाव भरने में भी तुलसी मददगार होती है।

* एक से अधिक साथी से यौन सम्बन्ध न रखने से भी मासाने व गर्भास्य के कैंसर से बचा जा सकता है।

* अनार का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें अनार कैंसर के इलाज खासकर स्तन कैंसर में बहुत ही प्रभावी माना गया है 

गुर्दे की पथरी नाशक घरेलू उपचार

गुर्दे की पथरी नाशक घरेलू उपचार 

किडनी,,युरेटर या ब्ला्डर, में पथरी निर्माण होना एक भयंकर पीडादायक रोग है। मूत्र में पाये जाने वाले रासायनिक पदार्थों से मूत्र अन्गों में पथरी बनती है,जैसे युरिक एसिड,फ़स्फ़ोरस केल्शियम और ओ़क्झेलिक एसिड। जिन पदार्थों से पथरी निर्माण होती है उनमें केल्शियम ओक्झेलेट प्रमुख है। लगभग ९० प्रतिशत पथरी का निर्माण केल्शियम ओक्झेलेट से होताहै। गुर्दे की पथरी( kidney stone) का दर्द आमतौर पर बहुत भयंकर होता है। रोगी तडफ़ उठता है। पथरी जब अपने स्थान से नीचे की तरफ़ खिसकती है तब यह दर्द पैदा होताहै। पथरी गुर्दे से खिसक कर युरेटर और फ़िर युरिन ब्लाडर में आती है। पेशाब होने में कष्ट होता है,उल्टी मितली,पसीना होना और फ़िर ठड मेहसूस होना ,ये पथरी के समान्य लक्षण हैं।नुकीली पथरी से खरोंच लगने पर पेशाब में खून भी आता है।इस रोग में पेशाब थोड़ी मात्रा में कष्ट के साथ बार-बार आता है|

रोग के निदान के लिये सोनोग्राफ़ी करवाना चाहिये।वैसे तो विशिष्ठ हर्बल औषधियों से ३० एम एम तक की पथरी निकल जाती है लेकिन ४-५ एम एम तक की पथरी घरेलू नुस्खों के प्रयोग से समाप्त हो सकती हैं। मैं ऐसे ही कुछ सरल नुस्खे यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।

१..तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच एक चम्मच शहद में मिलाकर जल्दी सबेरे लें। ऐसा ५-६ माह तक करने से छोटी पथरी निकल जाती है।

२) मूली के पत्तों का रस २०० एम एल दिन में २ बार लेने से पथरी रोग नष्ट होता है।

३) दो अन्जीर एक गिलास पानी मे उबालकर सुबह के वक्त पीयें। एक माह तक लेना जरूरी है।

४) नींबू के रस में स्टोन को घोलने की शक्ति होती है। एक नींबू का रस दिन में १-२ बार मामूली गरम जल में लेना चाहिये।

५) पानी में शरीर के विजातीय पदार्थों को बाहर निकालने की अद्भुत शक्ति होती है। गरमी में ४-५ लिटर और सर्द मौसम में ३-४ लिटर जल पीने की आदत बनावें।

६) दो तीन सेवफ़ल रोज खाने से पथरी रोग में लाभ मिलता है।

७) तरबूज में पानी की मात्रा ज्यादा होती है । जब तक उपलब्ध रहे रोज तरबूज खाएं। तरबूज में पुरुषों के लिये वियाग्रा गोली के समान काम- शक्ति वर्धक असर भी पाया गया है।

८) कुलथी की दाल का सूप पीने से पथरी निकलने के प्रमाण मिले है। २० ग्राम कुलथी दो कप पानी में उबालकर काढा बनालें। सुबह के वक्त और रात को सोने से पहिले पीयें।

९) शोध में पाया गया है कि विटमिन बी६ याने पायरीडोक्सीन के प्रयोग से पथरी समाप्त हो जाती है और नई पथरी बनने पर भी रोक लगती है। १०० से १५० एम जी की खुराक कई महीनों तक लेने से पथरी रोग का स्थायी समाधान होता है।

१०. अंगूर में पोटेशियम और पानी की अधिकता होने से गुर्दे के रोगों लाभदायक सिद्ध हुआ है। इसमें अल्बुमिन और सोडियम कम होता है जो गुर्दे के लिये उत्तम है।

११. गाजर और मूली के बीज १०-१० ग्राम,गोखरू २० ग्राम,जवाखार और हजरूल यहूद ५-५ ग्राम लेकर पावडर बनालें और ४-४ ग्राम की पुडिया बनालें। एक खुराक प्रत: ६ बजे दूसरी ८ बजे और तीसरी शाम ४ बजे दूध-पानी की लस्सी के साथ लें। बहुत कारगर उपचार है|

१२) पथरी को गलाने के लिये चौलाई की सब्जी गुणकारी है। उबालकर धीरे-धीरे चबाकर खाएं।दिन में ३-४ बार यह उपक्रम करें।

१३) बथुआ की सब्जी आधा किलो लें। इसे ८०० मिलि पानी में उबालें। अब इसे कपडे या चाय की छलनी में छान लें। बथुआ की सब्जी भी भी इसमें अच्छी तरह मसलकर मिलालें। काली मिर्च आधा चम्मच और थोडा सा सेंधा नमक मिलाकर पीयें। दिन में ३-४ बार प्रयोग करते रहने से गुर्दे के विकार नष्ट होते हैं और पथरी निकल जाती है।

१४) प्याज में पथरी नाशक तत्व होते हैं। करीब ७० ग्राम प्याज को अच्छी तरह पीसकर या मिक्सर में चलाकर पेस्ट बनालें। इसे कपडे से निचोडकर रस निकालें। सुबह खाली पेट पीते रहने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।

१५) सूखे आंवले बारीक पीसलें। यह चूर्ण कटी हुई मूली पर लगाकर भली प्रकार चबाकर खाने से कुछ ही हफ़्तों में पथरी निकलने के प्रमाण मिले हैं