सोमवार, 4 जुलाई 2016

कब्ज के लिए आयुर्वेदिक उपचार

कब्ज होने का अर्थ है आपका पेट ठीक तरह से साफ नहीं हुआ है या आपके शरीर में तरल पदार्थ की कमी है। कब्ज के दौरान व्यक्ति तरोजाता महसूस नहीं कर पाता। अगर आपको लंबे समय से कब्ज रहता है और आपने इस बीमारी का इलाज नहीं कराया है तो ये एक भयंकर बीमारी का रूप ले सकती है। कब्ज होने पर व्यक्ति को पेट संबंधी दिक्कते भी होती हैं, जैसे पेट दर्द होना, ठीक से फ्रेश होने में दिक्कत होना, शरीर का मल पूरी तरह से न निकलना इत्यादि । कब्ज के लिए प्रभावी प्राकृतिक उपचार तो मौजूद है ही साथ ही आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से भी कब्ज को दूर किया जा सकता है। आइए जानें कब्ज के लिए कौन-कौन से आयुर्वेदिक उपचार मौजूद हैं।

• कब्ज होने पर अधिक मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है, गर्म पानी पीने से फ़ायदा होता हैं। पानी की कमी से आंतों में मल सूख जाता है। और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है। इसलिये कब्ज से परेशान रोगियों के लिये सर्वोत्तम सलाह तो यह है कि मौसम के मुताबिक २४ घंटे में ३ से ५ लिटर पानी पीने की आदत डालना चाहिये। सुबह उठते ही सवा लिटर पानी पीयें। फ़िर ३-४ किलोमिटर तेज चाल से भ्रमण करें। शुरू में कुछ अनिच्छा और असुविधा महसूस होगी लेकिन धीरे-धीरे आदत पड जाने पर कब्ज जड से मिट जाएगी।
• कब्ज के रोगी को तरल पदार्थ व सादा भोजन जैसे दलिया, खिचड़ी इत्यादि खाना चाहिए।
• कब्ज के दौरान कई बार सीने में भी जलन होने लगती हैं। ऐसे में एसीडिटी होने और कब्ज होने पर शक्कर और घी को मिलाकर खाली पेट खाना चाहिए।
• हरी सब्जियों और फलों जैसे पपीता, अंगूर, गन्ना, अमरूद, टमाटर, चुकंदर, अंजीर फल, पालक का रस या कच्चा पालक, किश्मिश को पानी में भिगोकर खाने, रात को मुनक्का खाने से कब्ज दूर करने में मदद मिलती है।
• दरअसल, पानी और तरल पदार्थों की कमी कब्ज का मुख्य कारण है। तरल पदार्थों की कमी से मल आंतों में सूख जाता है और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है। जिससे कब्ज रोगी को खांसी परेशानी होने लगती है।
• इसबगोल की की भूसी कब्ज में परम हितकारी है। दूध या पानी के साथ २-३ चम्मच इसबगोल की भूसी रात को सोते वक्त लेना फ़ायदे मंद है। दस्त खुलासा होने लगता है।यह एक कुदरती रेशा है और आंतों की सक्रियता बढाता है।
• खाने में हरे पत्तेदार सब्जियों के अलावा रेशेदार सब्जियों का सेवन खासतौर पर करना चाहिए। इससे शरीर में तरल पदार्थों में बढ़ोत्तरी होती है।
• चिकनाई वाले पदार्थ भी कब्ज के दौरान लेना अच्छा रहता है।
• गर्म पानी और गर्म दूध कब्ज दूर करते हैं। रात को गर्म दूध में केस्टनर यानी अरंडी का तेल डालकर पीना कब्ज को दूर करने में कारगार है।
• नींबू को पानी में डालकर, दूध में घी डालकर, गर्म पानी में शहद डालकर पीने से कब्ज दूर होती है। सुबह-सुबह गर्म पानी पीने से भी कब्ज को दूर करने में बहुत मदद मिलती है।
• अलसी के बीज का पाउडर पानी के साथ लेने से कब्ज में राहत मिलती है
इस तरह के प्रभावी प्राकृतिक उपचार और आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से कब्ज को स्थायी रूप से आसानी से दूर किया जा सकता है।
• दो सेवफ़ल प्रतिदिन खाने से कब्ज में लाभ होता है।
• अमरूद और पपीता ये दोनो फ़ल कब्ज रोगी के लिये अमॄत समान है। ये फ़ल दिन मे किसी भी समय खाये जा सकते हैं। इन फ़लों में पर्याप्त रेशा होता है और आंतों को शक्ति देते हैं। मल आसानी से विसर्जित होता है।
• अंगूर मे कब्ज निवारण के गुण हैं । सूखे अंगूर याने किश्मिश पानी में ३ घन्टे गलाकर खाने से आंतों को ताकत मिलती है और दस्त आसानी से आती है। जब तक बाजार मे अंगूर मिलें नियमित रूप से उपयोग करते रहें।
• अंजीर कब्ज हरण फ़ल है। ३-४ अंजीर फ़ल रात भर पानी में गलावें। सुबह खाएं। आंतों को गतिमान कर कब्ज का निवारण होता है।
• मुनका में कब्ज नष्ट करने के गुण हैं। ७ नग मुनक्का रोजाना रात को सोते वक्त लेने से कब्ज रोग का स्थाई समाधान हो जाता है।
20 साल पुरानी कब्‍ज की जडें उखाडने वाला ( रामबाण ) नुस्‍खा!

रात्रि में 25 ग्राम सोंफ पानी में भिगोकर रखें –
सुबह उसी पानी में उबालें – उबल जाने पर सोंफ को खूब मसलकर उसका पानी छान लें –
इस पानी में 4 मूँग के वजन बराबर ( 200 – 250 मि.ग्राम ) जितनी फुलायी हुई लाल फिटकरी ( शोधित ) का चूर्ण डालकर सुबह खाली पेट 40 दिन तक पीने से पुराने से पुराना यानि 20 वर्ष पुरानी कब्जियत भी दूर हो जाती है !


भोजन करने के तुरन्त बाद वज्रासन में 5-15 मिनट बैठने से पेट की एसिडिटी, अपच और कब्ज से छुटकारा पाया जा सकता है, इस आसन से भोजन जल्दी पचता ही है, साथ ही साथ घुटनों का दर्द में भी आराम मिलता है ।

लोकी के औषधीय गुण--

चावल के विभिन्न उपयोग

चावल

धान को ओखली में या मशीनों द्वारा पीसकर उसके ऊपर छिल्कों को अलग किया जाता है। बिना छिलके के धान के दानों को चावल कहा जाता है। चावल के शीतल एवं शक्तिवर्द्धक होने के कारण दुनिया भर के लोग चावल का उपयोग दैनिक भोजन के रूप में करते हैं। चावल मुख्यत: बारिश के मौसम की फसल होती है। 
कामोद, पंखाली, पंचसाल, आम्रमोर, राजभोग, जीरासार, कालीसार, रातीसार, बेरसाल, वॉकसाल, राजावल, हन्सराज, बासमती, इलायची, पी.आर 12, पी.आर 13 साबरमती आदि पतले और जाया, पन्त 4 आदि मोटे चावल की प्रमुख किस्में हैं। 

आयुर्वेद के अनुसार केवल 60 दिनों में तैयार होने वाले साठी चावल अधिक गुणकारी माने जाते हैं। साठी चावल संग्रहणी, पेचिश और मंदाग्नि (भूख कम लगना) को समाप्त करता है। ये चावल पाचक और बलकारी होते हैं तथा वायु पैदा नहीं करते हैं अत: इन्हें निर्दोष एवं पथ्यकर माना गया है। 

*चावल के विभिन्न उपयोग :* 

1. यकृत शक्तिवर्द्धक:
सूर्योदय से पहले उठकर 1 चुटकी कच्चे चावल मुंह में रखकर पानी से सेवन करने से यकृत (जिगर) बहुत मजबूत होता है। 

2. गर्मीनाशक:
चावल की प्रकृति ठण्डी होती है। पेट में गर्मी भारी होने पर एवं गर्मी के मौसम में रोजाना चावल खाने से शरीर को ठण्डक मिलती है। 

3. पेचिश व रक्तप्रदर:
एक गिलास चावल के पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश व रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है। 

4. दस्त:
चावल पकाने पर इसका उबला हुआ पानी जिसे माण्ड कहा जाता है। यह दस्तों के लिए लाभदायक होता है। बच्चों को आधा कप और जवानों को 1 कप हर घंटे के बाद पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। इसे छोटे बच्चों को कम मात्रा में पिला सकते हैं। इस माण्ड में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करने से यह स्वादिष्ट, पौष्टिक और सुपाच्य होता है। इसमें नमक मिलाकर इसे दस्तों में पीने से लाभ मिलता है। इस माण्ड को 6 घंटे से अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए।
उबले हुए चावल में सेंधानमक को मिलाकर छाछ या दही के साथ प्रयोग करने से अतिसार (दस्त) में आराम होता है।
चावल के पके हुए पानी को 2 चम्मच और 1 कप पानी में मिलाकर हर घंटे के बाद पीने से लाभ मिलता है।
चावलों को पकाकर प्राप्त मांड को या चावल को दही के साथ खाने से दस्त में लाभ मिलता है।

5. माण्ड बनाने की सरल विधि:
100 ग्राम चावल आटे की तरह पीस लेते हैं। इसे 1 लीटर पानी में उबालते हैं। भली प्रकार उबालने के पश्चात इसे छानकर स्वाद के अनुसार नमक मिला लेते हैं। इसे बच्चों को आधा कप और जवानों को 1 कप हर घंटे के बाद पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं। इसे छोटे बच्चों को कम मात्रा में पिला सकते हैं। दस्तों में यह बहुत लाभकारी होता है। 

6. कोलेस्ट्राल व रक्तचाप:
लम्बे समय तक चावल खाते रहने से कोलेस्ट्राल कम हो जाता है और रक्तचाप भी ठीक रहता है। 

7. फोड़ा:
पिसे हुए चावलों की पोटली सरसों के तेल में बनाकर बांधने से फोड़ा फूट जाता है एवं पस निकल जाती है। 

8. कब्ज:
1 भाग चावल और 2 भाग मूंग की दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है। 

9. गर्भावस्था की वमन (उल्टी):
50 ग्राम चावल को लेकर 250 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। आधा घंटा बीतने के बाद इसमे 5 ग्राम धनिया भी डाल देते हैं। 10 मिनट के बाद इसे मलकर छानकर निकाल लेते हैं। 4 बार में इसे 4 हिस्से करके पिलाएं। इसके प्रयोग से गर्भवती स्त्री की उल्टी तुरन्त ही बंद हो जाती है।
 
10. भांग का नशा:
चावलों का पानी पीने से भांग का नशा उतर जाता है।